दुनिया सीधे कीले को ठोकती है,
लोहावर को पूजती है।
सीधावर भले ज्ञान को पूजे,
लोग नंग नाच मैं मज़े लेती है ।
कुछ लोगो को वकालत की आदत होती है,
जहाँ आग ना हो, वहाँ आग लगाने की ।
जहाँ नज़र साफ़ सुथरी हो,
वहॉ एक चश्मा चढ़ा देने की ।
जब अपना मन पारंगत ना हो,
दूसरे को नंगे करने की।
हर कोई मुखियां नहीं हो सकता,
प्यार चहिये सागर सा, दिल आकाश का ।