हार हे तो हार को हार कर चल,
हार हे तो हार का हार बना कर चल,
हार हे तो हार पर हुहुँकार का वार कर |
जीत कब तक पीठ दिखायगी ?
जीत कब तक मुँह मोड़ेगी ?
जीत कब तक पीछा छोड़ेगी ?
मौसम एक नही होता,
रंग एक नही होता,
पल एक नहीं होता |
रात मे दिन का इंतज़ार कर,
अपने को ओर बलवान कर,
हर पल ईश्वर का जाप कर |
शौर्य हे तो हिमालय पर चढ़,
शौर्य हे तो माई का लाल बन,
उसके दूध का उधार पूरा कर |
गिर चूका हे तो कया,
आकाश का धायन कर,
हार की बेड़ी तोड़, तू विजयी बन |
हार हे तो हार को हार कर चल,
हार हे तो हार का हार बना कर चल,
हार हे तो हार पर हुहुँकार का वार कर |
हार की हार का हाहाकार कर ..