रहने दो हमें बक्त के अंधकारो में,
न चहिये मुझे ये दुनिया के सितारें|
अहम् को न चिहए कोई चिराग,
रहने दो उसका वास उसके तले |
ढूढ़ रहा हूँ वोह महा परा करमी ,
जिसने जग के तरप को ठाप दिए